Friday, May 24, 2024

आधुनिक संस्कृत साहित्य की समीक्षा का नवीन ग्रंथ

कृति - आधुनिक संस्कृत साहित्य अभिनव प्रयोग एवं संभावनाएं

कृतिकार - प्रो मंजूलता शर्मा

विधा - आलोचना

संस्करण - प्रथम 2024

प्रकाशक - परिमल पब्लिकेशन दिल्ली 98911 43247

पृष्ठ संख्या - 250

अंकित मूल्य - 550




आधुनिक संस्कृत साहित्य में रचनाएं तो प्रभूत मात्रा में लिखी जा रही हैं, किंतु उनकी समीक्षा उस रूप में नहीं हो पा रही है जिस तरह होनी चाहिए| कुछ एक समीक्षक ही हैं जो रचना के साथ न्याय कर पाते हैं| साहित्य जिस रूप में लिखा गया है, जिस विधा में लिखा गया है, उस की तह तक पहुंच कर उस कृति पर लिखना कठिन कार्य है| नवीन साहित्य की समीक्षा के लिए नवीन काव्यशास्त्र भी रचे जा रहे है , यथा अभिनवकाव्यालंकारसूत्र, अभिराजयशोभूषण, काव्यालंकारकारिका, वागीश्वरीकंठसूत्र आदि| किंतु इन ग्रंथों और संस्कृत से भिन्न भारतीय आदि भाषाओं के साहित्य की आलोचना को पढ़ कर नवीन संस्कृत साहित्य की समीक्षा बहुत कम की जाती है, जबकि यह बहुत आवश्यक है | 



                        प्रो मंजुलता शर्मा‌‌ आधुनिक संस्कृत साहित्य की समीक्षीका के रूप में सर्वविदित हैं| विभिन्न पत्रिकाओं आदि में आपके आलेख प्रकाशित होते रहते हैं| मंजुलता जी के आधुनिक संस्कृत साहित्य पर इस से पूर्व भी कई ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं को सहृदयों द्वारा सराहे गए हैं , यथा अर्वाचीन संस्कृत साहित्य दशा और दिशा, आधुनिक संस्कृत काव्य की परिक्रमा, आधुनिक संस्कृत साहित्य के नए भाव बोध आदि| इसी वर्ष आपका नया आलोचना ग्रंथ प्रकाशित हुआ है जिसका शीर्षक है आधुनिक संस्कृत साहित्य अभिनव प्रयोग एवं संभावनाएं | इसकी शुभाशंसा वरिष्ठ आलोचक इला घोष जी ने लिखी है और साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त प्रो अरुण रंजन मिश्र जी ने भी अंग्रेजी भाषा में इस कृति पर अपने विचार प्रकट किए हैं| 

            प्रस्तुत कृति में 16 लेखों का संकलन किया गया है जो आधुनिक संस्कृत की विभिन्न भावों को उद्घाटित करते हैं | ललित निबंध से हम परिचित हैं किंतु देवर्षि कलानाथ शास्त्री जी ने इसी के रूप को कुछ परिवर्तित करते हुए एक नवीन विधा का सूत्रपात किया और उसे नाम दिया ललित कथा| कलानाथ जी की पुस्तक ललितकथाकल्पवल्ली की ललित कथाओं का परिचय देते हुये मंजुलता जी ने इस विधा से भी बहुत अच्छे से परिचित करवाया है| आधुनिक संस्कृत कविता में किस प्रकार वेदांत दर्शन प्रतिबिंबित हो सकता है इसका बखूबी परिचय देते हुए आलेख है- वेदांत को आत्मसात करती आधुनिक कविताएं | राधावल्लभ त्रिपाठी, हर्षदेव माधव,‌ सीतानाथ आचार्य आदि की कविताओं से यहां उदाहरण भी दिए गए हैं| अरुण रंजन मिश्र संस्कृत में उत्तर आधुनिकता के लिए जाने जाते हैं| उत्तर आधुनिक कविता का नया पड़ाव आलेख में मिश्र जी के दो काव्य संग्रहों से उदाहरण देते हुए उन्हें उत्तर आधुनिक संस्कृत साहित्य के श्रेष्ठ सर्जक के रूप में प्रदर्शित किया है, जो यथोचित भी है| हर्षदेव माधव के स्मृतकथा संग्रह स्मृतीनां जर्जरितानि पृष्ठानि पर एक सुंदर आलेख संकलित हैं | स्मृतियों की जुगाली करते हुए इंसान अपने अतीत का अपने तरीके से स्मरण करता है, उन्हे सहेजता है|



                     जनार्दन प्रसाद पांडेय मणि जी की कृति सौरभेयी, सर्वाधिक प्रतिभाशाली युवा कवि ऋषिराज जानी के संस्कृत के प्रथम वैज्ञानिक उपन्यास अंतरिक्षयोधा, हरिदत्त शर्मा रचित वैदिशिकाटनम्, कौशल तिवारी के काव्य संग्रह गुलिका पर भी पृथक से आलेख संकलित किए गए हैं| युवा प्रखर कवि प्रवीण पंड्या जी के विभिन्न काव्यों से उदाहरण देते हुए समीक्षिका ने पंड्या जी की कविता के मर्म को बेहतर तरीके से परत दर परत खोला है | 

         आधुनिक संस्कृत काव्य में प्रसिद्ध मुक्तछंद, स्त्रीविमर्श, मोनोइमेज, लोकधर्मीछंद, नवीन अलंकार एवं बिंब, 21 शताब्दी की नई कविताआदि पर लिखे गए आलेख इस पुस्तक की विशेषता है| 



          यह संकलन उन के लिए उपयोगी है जो आधुनिक संस्कृत साहित्य में लिखे गई रचनाओं से परिचित होना चाहते हैं, शोध करना चाहते हैं, उसके मर्म को, व्यंजना को।समझना चाहते हैं| मंजुलता जी की सरस शैली आपको कहीं भी रिक्तता का अनुभव नहीं करवाती| आलेख की भाषा पाठक को थामे रखती है| यह ग्रंथ निश्चित ही आधुनिक संस्कृत साहित्य के दस्तावेज के रूप में याद किया जाएगा| 



6 comments:

  1. Harshdev madhav
    Very nice book and nice review

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    1. अत्यन्त आभार गुरुजी प्रणाम

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  2. अत्यंत उपयोगी पुस्तक

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  3. लिखना लेखकों का दायित्व है तो पढ़ना पाठकों का । परन्तु साहित्य को जन जन तक पहुंचाने का कार्य डॉ कौशल तिवारी जैसे जिज्ञासु अन्वेषकों का कार्य है। आप उसमें अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं साधुवाद ।

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