Saturday, May 23, 2020

अनूठी अनूदित रचना - आंग्लरोमांचम्



अनुवाद के माध्यम से हम अन्य भाषाओं की रचनाओं का आस्वादन ले सकते हैं | अनेक आलोचक तो यहां तक कहते हैं कि अनुवाद का कार्य मौलिक से कठिन है |  दर असल अनुवाद पुनः सृजन जैसा कर्म है | विश्व की प्रायः सभी भाषाओं में अनुवाद होता आया है | संस्कृत  की कृतियों ने तो अंग्रेजी, जर्मन आदि अनेक भाषाओं में अनूदित होकर सम्पूर्ण विश्व को चमत्कृत कर दिया  | संस्कृत में अब अन्य भाषाओं से अनुवाद भी हो रहा है | साहित्य अकादेमी द्वारा 24 भाषाओं में प्रतिवर्ष अनुवाद पुरस्कार भी दिया जाता है, जिनमे संस्कृत भी सम्मिलित है | यहां अंग्रेजी के कुछ प्रसिद्ध कवियों की कविताओं के अनुवाद के संकलन का परिचय दिया जा रहा है| हमारा प्रयास यह रहेगा कि आपको मौलिक कृतियों के साथ यथा सम्भव अनूदित कृतियों का भी परिचय देते चलें-
अनूठी अनूदित रचना - आंग्लरोमांचम्
कृति- आंग्लरोमांचम्
अनुवादक-डॉ. हरिहर त्रिवेदी
मूल भाषा- अंग्रेजी
मूल लेखक - विविध
प्रकाशक - चौखम्भा ओरियन्टालिया, वाराणसी
संस्करण-प्रथम 1974
पृष्ठ संख्या -81
अंकित मूल्य-15 रू.


अर्वाचीन संस्कृत साहित्य में जहां एक ओर मौलिक कृतियां सर्वादृत एवं समादृत हो रही हैं, वहीं अनूदित कृतियों के माध्यम से भी संस्कृत पुराणी युवती उषा की भांति नित नवीन सुशेाभित होती है। अगर हम विश्व की नहीं केवल भारत की अन्य भाषाओं कि ओर भी देखें तो हम पाते है कि संस्कृत में उतना अनुवाद कार्य नहीं हो रहा जितना अन्य भाषाओं में होता आया है। सम्भवतः इसके दो कारण रहे, पहला यह कि अनेक कारणो के चलते संस्कृत साहित्यकार अन्य भाषायी साहित्य के बहुत कम सम्पर्क में आये, दूसरा यह कि हमने यह सोचा कि हम ही क्यों अनुवाद करें, हमारे ही ग्रन्थों का अनुवाद अन्य भाषाओं में हो। किन्तु कुछ समय से इस क्षेत्र पर साहित्यकारों का ध्यान गया है। न केवल भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों का संस्कृत में अनुवाद हो रहा है अपितु विदेशी भाषाओं की रचनाएं भी संस्कृत में रूपान्तरित होती दिखाई देती हैं।
             सन् 1974 में डॉ. हरिहर त्रिवेदी एवं उनके सहायक लक्ष्मीनारायण जोषी ने नौ अंग्रेजी कवियों यथा कीट्स, शैले, वर्ड्सवर्थ, बायरन  आदि की बाईस कविताओं का संस्कृत के पारम्परिक छन्दों यथा द्रुतविलम्बित,  स्रग्धरा, वसन्ततिलका, मन्दाक्रान्ता, शार्दूलविक्रीडित आदि में अनुवाद किया  है। यहां छन्दों के स्वभाव के अनुरूप ही उनका प्रयोग भी किया गया है। इसमें संस्कृत अनुवाद के साथ मूल भाषा में भी कविताएं दी गई हैं|
यहां इन कवियों और उनकी अनूदित कविताओं की सूची भी प्रस्तुत की जा रही है।



कुछ उदाहरण द्रष्टव्य हैं-

in a drear-nighted December,
Too happy, happy tree,
Thy branches ne"er remember
Their green felicity

धन्योऽसि यद्धिमऋतावपि निष्प्रभायां
रात्रावपि प्रमुदितोऽसि महीरुह! त्वम्।
यन्नो स्मरन्ति विषमे ह्यधुना तवैताः
शाखा वसन्तसुषमामनुभूतपूर्वाम्।।
(मूल - कीट्स)

Life ! i~ know not what thou art,
But know that thou and i~ must part,
And when, or how, or where we met
i~ own to me"s a secret yet"

जानामि नाहमयि जीवित ते स्वरूपम्
जाने तथापि भविता ननु नौ वियोगः।
आवां कदा क्व च कथं च समागतौ स्वो
ह्येतत् तु सर्वमधुनापि रहस्यमेव।।
(मूल - बारबाल्ड)
  



No comments:

Post a Comment